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गीत ( तेरी यादें )

गीत(तेरी यादें)
तुम न पास तो सच यह मानो,
मन मेरा घबराता है।
जब-जब यादें तेरी आतीं,
कष्ट और गहराता है।।

तेरे संग बिताईं रातें,
रह-रह बहुत सतातीं हैं।
मधुर मिलन की मीठी बातें,
हिय में आग लगातीं हैं।
जब से छूटा साथ तुम्हारा,
नहीं जगत यह भाता है।।
     कष्ट और गहराता है।।

भाती नहीं रौशनी शशि की,
दिनकर भी धूमिल लगता।
हरी-भरी इस धरती का भी,
रंग नहीं मुझको जँचता।
ओज नहीं लहरों में लगता,
सागर जो लहराता है।।
      कष्ट और गहराता है।।

भौंरों का गुंजन भी चुभता,
जैसे तीर धँसे हिय में।
फूलों की मादकता फीकी,
जैसे गंध नहीं उनमें।
शीतल पवन अगन यूँ बनकर,
मानो हिय सुलगाता है।।
       कष्ट और गहराता है।।

आ जा प्रियवर पास हमारे,
अब तेरे बिन रह न सकूँ।
कोई नहीं सहारा मेरा,
जिसके संग रह मैं सकूँ।
मेरी विरह-व्यथा को लख कर,
मौसम ढोल बजाता है।।
       कष्ट और गहराता है।
                    ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                        9919446372

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3 Comments

वानी

25-May-2023 11:20 AM

Bahut khoob

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Gunjan Kamal

25-May-2023 06:19 AM

बहुत खूब

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बहुत सुन्दर

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